Saturday, May 18, 2013

भ्वाकृतिक सिद्धांत: ऐतिहासिक परिवेश- भाग-2

1- डेविस का त्रिकट:- " स्थलरूप संरचना, प्रक्रम और अवस्था के प्रतिफल होते हैं।"
2- डेविस ने अपने सिद्धांत में प्रयुक्त "समय" के स्थान पर कालान्तर में अवस्था (stage) शब्द का प्रयोग किया था।
3- पेंक के अनुसार- "स्थलरूपों का विकास समय निर्भर न होकर समय- रहित या समय स्वतंत्र होता है।"
4- पेंक न अनाच्छादन (denudation) शब्द का प्रयोग //मलवा निष्कासन// के लिये किया है।
5- प्राइमारम्प शब्द का प्रयोग पेंक न स्थलखंड के उत्थान से पूर्व की स्थिति के लिये किया है।
6- पेंक ने "इंट्विकलुंग" नामावली का प्रयोग "अवस्था" के स्थान पर किया है।
7-
a- आफस्तीजिंडे इंट्विकलुंग का अर्थ है- बढ़ती दर से विकास।
b- ग्लीखफार्मिंग इंट्विकलुंग का अर्थ है- समान दर से विकास।
c- आब्स्तीजिंडे इंट्विकलुंग का अर्थ है- घटती दर से विकास।
8- पेंक ने उपर्युक्त तीनों शब्दावलियों का प्रयोग तरुणावस्था, प्रौढ़ावस्था एवं जीर्णावस्था के स्थान पर किया है।
9- पीडमांड ट्रेपेन (गिरिपद ट्रेपेन) समय के साथ अधिक उत्थान तथा अपरदन के कारण प्राथमिक प्राइमारम्प पर अनेक सोपानों का निर्माण हो जाता है। विभिन्न तलों पर विकसित इन सोपानों को पीडमांट ट्रेपन कहा जाता है।
10- पेंक ने पीडमांट ट्रेपने को पीडमांट फ्लैश कहा है।
11- आब्स्तीजिंडे इंट्विकलुंग या घटती दर से विकास में घाटी के ऊपरी भाग का ढाल खड़ा होता है। इसे गुरुत्व ढाल या बासचुंजेन कहा जाता है।

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