स्थलरूप प्रकारिकी की संकल्पना:-
"स्थलरूपों के विकास में सरलता की अपेक्षा जटिलताएँ अधिक होती हैं।"
1- किसी भी स्थलखंड पर केवल एक ही प्रक्रम सक्रिय नहीं होता, वरन् एक से अधिक होते हैं।
2- पालिम्पसेट स्थलाकृति:- Palimpsest शब्द ग्रीक भाषा के pailn ( पुन:) तथा psegma (मिटाना) से बना है। इसका निर्माण लम्बी अवधि (वृहद स्तरीय कालिक मापक) के दौरान भ्वाकृतिक प्रक्रमों द्वारा निर्माण, विनाश एवं पुन: निर्माण- क्रियाओं की पुनरावृत्ति के कारण होता है।
3- स्थलरूपों में विवधता के आधार पर हारबर्ग (1952) ने भू- पटल की स्थलाकृतियों को 5 प्रमुख प्रकारों में विभक्त किया है-
a- साधारण स्थलरूप,
b- मिश्र स्थलरूप,
c- एकल चक्रीय स्थलरूप,
d- बहुल चक्रीय स्थलरूप,
e- अनावृत्त या पुनर्जीवित स्थलरूप,
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स्थलाकृतिक इतिहास की संकल्पना:-
"धरातल की बहुत कम स्थलाकृतियाँ टर्शियरी युग से प्राचीन हैं तथा अधिकांश स्थलाकृतियाँ प्लीस्टोसीन युग से प्राचीन नहीं हैं।"
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