1- घाटी पार्श्व के निचले ढाल को वाशढाल या हाल्डेनबैंग कहते हैं। यह अवतल ढाल वाला होता है। इस तरह की विस्तृत सतह को इंड्रम्प कहते हैं। यह पेनी प्लेन के समकक्ष है।
2- किंग का भ्वाकृतिक सिद्धांत द. अफ्रीका की स्थलाकृतियों के अध्ययन से सम्बंधित तथ्यों पर आधारित है।
3- घाटी के पार्श्व ढाल के आधार पर अपेक्षाकृत समतल एवं सपाट स्थलरूप का निर्माण होता है, जिसका ढाल अधिकतम 10॰ और औसतन 5॰ होता है। इसे पेडीमेंट कहते हैं।
4- पेडीप्लेन:- जब कई पेडीमेंट मिल जाते हैं तब पेडीप्लेन का निर्माण होता है।
5- डेविस के पेनीप्लेन का निर्माण अध: क्षय द्वारा होता है। किंग के पेडीप्लेन का निर्माण कई पेडीमेंटों के समेकन एवं सम्वर्द्धन से होता है।
6- जे. टी. हैक के भ्वाकृतिक सिद्धांत को //गतिक संतुलन का सिद्धांत// के नाम से जाना जाता है।
7- "कुछ सीमा तक सभी स्थलरूप अपने विकासीय इतिहास के कैदी होते हैं।"- आर. जे. राइस (1977)
8- सम्मिश्र मॉडल के प्रतिपादक पामक्विस्ट हैं।
9- विर्वतन भ्वाकृतिक मॉडल के प्रतिपादक मेरी मोरीसावा (1975) हैं।
10- खंडकालिक अपरदन सिद्धांत के प्रतिपादक एस. ए. शूम हैं।
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