भ्वाकृतिक प्रक्रम की संकल्पना-
"भ्वाकृतिक प्रक्रम स्थलरूपों पर अपनी विशेष छाप छोड़ते हैं तथा प्रत्येक भ्वाकृतिक प्रक्रम स्वयं का स्थलरूपों पर विशिष्ट समुदाय विकसित करते हैं।"
1- थार्नबरी भ्वकृतिक प्रक्रम को स्पष्ट करते हुए कहा कि " भ्वाकृतिक प्रक्रिया उन सभी भौतिक तथा रासायनिक परिवर्तनों को कहते हैं जिनके द्वारा धरातलीय सतह प्रभावित होती है।"
2- भ्वाकृतिक प्रक्रम दो प्रकार के होते हैं:-
¡- अंतर्जात प्रक्रम:- लासन ने इसे epigene तथा पेंक ने exogenous कहा है। इसे समतलीकरण प्रक्रम या अनाच्छादनात्मक प्रक्रम भी कहते हैं। बहिर्जात प्रक्रमों द्वारा दो प्रकार की क्रियाएँ मुख्य रुप से समपन्न होती हैं-
a- निम्नीकरण- इनमें अपक्षय, सामूहिक स्थानान्तरण तथा अपरदन प्रमुख हैं।
b- निक्षेपण
¡¡- अन्तर्जात प्रक्रम:- लासन ने इसे hypogene तथा पेंक ने endogenous कहा है। इसके अंतर्गत भूकम्प, ज्वालामुखी, वलन तथा भ्रंशन आदि को शामिल किया जाता है। ये प्रक्रम धरातल पर उच्चावचों का निर्माण करते हैं।
3- बहता जल, भूमिगत जल, तरंग, धारा एवं ज्वार- भाटा, वायु, हिमानी तथा परिहिमानी आदि अपरदन एवं निक्षेपण के प्रमुख कारक हैं।
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